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- अच्छे पोषण के साथ दिमागी बुखार से बचाव के लिए दोनों टीके जरूरी
- बच्चों का जरूर कराएं टीकाकरण
- बेहतर पोषण एक नहीं, कई संक्रामक बीमारी से करता है बचाव, बच्चों के पोषण के प्रति रहें सजग
लखीसराय-
कुपोषण ना केवल शरीर को कमजोर करता बल्कि, अन्य बीमारियों की चपेट में आने की संभावना में भी वृद्धि करता है। बच्चों में होने वाले दिमागी बुखार सामान्यतः मच्छर काटने से होता है। लेकिन, कुपोषित बच्चों में होने वाले दिमागी बुखार एक स्वस्थ्य बच्चे में होने वाले दिमागी बुखार की तुलना में अधिक गंभीर एवं जानलेवा साबित हो सकता है। इसलिए, बच्चों को इस बीमारी के प्रभाव से दूर रखने के लिए उनके स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें और बेहतर पोषण का ख्याल रखें। अन्यथा, थोड़ी-सी लापरवाही बड़ी परेशानी का सबब बन सकती है। बेहतर पोषण से ना सिर्फ दिमागी बुखार या फिर अन्य किसी एक बीमारी से बचाव होगा बल्कि, अन्य कई संक्रामक बीमारी से भी बचाव करेगा।
- बेहतर पोषण ,कई रोगों से बचाव का सबसे बेहतर और आसान उपाय :
लखीसराय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ धीरेन्द्र कुमार ने बताया, बच्चों को जन्म से ही बेहतर पोषण की आवश्यकता होती है। बच्चे के जन्म के एक घंटे के अंदर माँ का गाढ़ा-पीला दूध एवं अगले छह महीने तक सिर्फ माँ के ही दूध का सेवन बच्चे को इस उम्र में होने वाली बहुत सी बीमारियों, जैसे डायरिया, निमोनिया, ज्वर एवं अन्य घातक रोगों से बचाव करता है। छह माह तक सिर्फ और सिर्फ माँ का दूध एवं इसके बाद मसला हुआ अनुपूरक आहार के साथ 2 साल तक नियमित स्तनपान बच्चों को कुपोषण से दूर रखता है। मच्छरों से फैलने वाले कई रोग जैसे डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया एवं दिमागी बुखार जैसे घातक एवं गंभीर रोगों से होने वाले प्रभावों में बच्चों के बेहतर पोषण के कारण बहुत हद तक कमी आती एवं बच्चा आसानी से इन रोगों के प्रभावों से दूर भी रहता है।
- 09 से 12 माह के बीच पहला और 1 से 02 साल से बीच बच्चों को दिया जाता है दूसरा टीका :
दिमागी बुखार का पहला टीका 9 से 12 महीने तक के बच्चों को एवं 1 से 2 वर्ष की उम्र के बच्चों को दूसरी खुराक दी जाती है। दिमागी बुखार क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से इसका वाइरस शरीर में प्रवेश करता और सीधे दिमाग पर असर करता है। इससे बच्चों को दिमागी बुखार हो जाता है। जापानी बुखार में शुरू में फ्लू जैसे लक्षण के साथ बुखार आना, ठंड लगना, थकान होना, सिर दर्द, उल्टी एवं दौरे आना आदि दिखाई देते हैं। यह बुखार काफी खतरनाक हो सकता है, जिससे बच्चा अपंग एवं समुचित चिकित्सीय जाँच के अभाव में जानलेवा भी हो जाता है। इस गंभीर रोग से मजबूती से लड़ने के लिए बच्चे का सुपोषित होना फायदेमंद होता है।सुपोषित बच्चे में दिमागी बुखार प्रभाव डालने के बाद भी काफी हद तक जानलेवा नहीं हो पाता है। इसलिए, बच्चों को दिमागी बुखार से बचाने के लिए टीके के साथ उनका बेहतर पोषण भी जरूरी है।
रिपोर्टर
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Dr. Rajesh Kumar