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- परबत्ता सीएचसी में मरीजों के बीच वितरित की गई दवाई
- आवश्यक और जरूरी चिकित्सा परामर्श के साथ सात महिला मरीजों को दी गई दवाई
खगड़िया-
वेक्टर जनित गंभीर रोगों में शामिल फाइलेरिया संक्रमित मरीजों को नियमित रूप से आवश्यक उपचार की जरूरत होती है। इसके लिए उन्हें आवश्यक दवाइयों के साथ प्रभावित अंग का पूरा ध्यान रखना होता है। अच्छी तरह से ध्यान रखने पर फाइलेरिया संक्रमण को गंभीर होने से रोक जा सकता है। फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग काफी गंभीर है। लगातार विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इसी कड़ी में फाइलेरिया उन्मूलन के तहत परबत्ता सीएचसी से मरीजों को समन्वय कर पहलीबार दवाई दी गयी । जिसमें मौजूद कुल 07 मरीजों को दवाई दी गयी और प्रदत्त दवाई का सेवन समेत फाइलेरिया से बचाव , कारण, लक्षण एवं उपचार की विस्तृत जानकारी दी गई। साथ ही लक्षण दिखते ही तुरंत जाँच कराने और जाँच के पश्चात चिकित्सा परामर्श का पालन करने समेत अन्य आवश्यक जानकारी दी गई। ताकि संबंधित मरीज शुरुआती दौर में ही जाँच करा सके और ससमय इलाज शुरू हो सके। इस मौके पर सीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ धर्मेंद्र चौधरी, भीबीडीएस मनीष कुमार, आशा कार्यकर्ता वंदना कुमारी, ज्योति कुमारी आदि मौजूद थे।
- दवाई के साथ मरीजों को आवश्यक चिकित्सा परामर्श भी दिया गया :
परबत्ता सीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ धर्मेंद्र चौधरी ने बताया, मौजूद सभी मरीजों को दवाई के साथ-साथ फाइलेरिया से बचाव से संबंधित आवश्यक और जरूरी जानकारी भी दी गई। जिसमें संक्रमित मरीजों को किन-किन बातों का ख्याल रखते हुए इलाज कराना है। फाइलेरिया से बचाव के लिए क्या-क्या सावधानी बरतनी है। इसके कारण और लक्षण समेत अन्य जरूरी जानकारी दी गई। इसके अलावा प्रदत्त दवाई का उचित सेवन की भी जानकारी दी गई। वहीं, उन्होंने बताया, फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है, जो क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इसका कोई पर्याप्त इलाज संभव नहीं है। लेकिन, इसे शुरुआत में ही पहचान करते हुए रोका जा सकता है। इसके लिए संक्रमित व्यक्ति को फाइलेरिया ग्रसित अंगों को पूरी तरह स्वच्छ पानी से साफ करना चाहिए। साथ ही सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही डीईसी व अल्बेंडाजोल की दवा का नियमित सेवन करना चाहिए। वहीं, उन्होंने कहा, फाइलेरिया मुख्यतः मनुष्य के शरीर के चार अंगों को प्रभावित करता है। जिसमें पैर, हाथ, हाइड्रोसील एवं महिलाओं का स्तन शामिल हैं । हाइड्रोसील के अलावा फाइलेरिया संक्रमित अन्य अंगों को ऑपरेशन द्वारा ठीक नहीं किया जा सकता है। संक्रमित व्यक्ति को सामान्य उपचार के लिए किट उपलब्ध कराई जाती है, जबकि हाइड्रोसील फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति को मुफ्त ऑपरेशन की सुविधा मुहैया कराई जाती ।
- पहलीबार मिली दवाई, अब इलाज की जगी उम्मीद :
दवाई लेने के पश्चात फाइलेरिया संक्रमित महिला सुनैना देवी, बबीता देवी आदि ने बताया, हमलोगों को जानकारी नहीं थी कि सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में भी दवाई मिलती है। किन्तु, आज स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों के सहयोग से पहलीबार दवाई मिली है। अब उम्मीद जगी है कि हमलोगों को फाइलेरिया की परेशानी से निजात मिलेगी। बबीता देवी ने बताया दवाई के साथ-साथ हमलोगों को आवश्यक और जरूरी चिकित्सा परामर्श और आगे मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में बताया गया है। .
- फाइलेरिया से प्रभावित अंग का विशेष देखभाल और साफ-सफाई जरूरी :
भीबीडीएस मनीष कुमार ने बताया, फाइलेरिया से प्रभावित अंग का विशेष देखभाल और साफ-सफाई का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। फाइलेरिया संक्रमित होने पर व्यक्ति को हर महीने एक-एक सप्ताह तक तेज बुखार, पैरों में दर्द, जलन, के साथ बेचैनी होने लगती है। एक्यूट अटैक के समय मरीज को पैर को साधारण पानी में डुबाकर रखना चाहिए या भीगे हुए धोती या साड़ी को पैर में अच्छी तरह लपेटना चाहिए।
रिपोर्टर
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Dr. Rajesh Kumar