टीबी मरीजों से नहीं करें भेदभाव,जांच और इलाज के लिए करें प्रेरित


-टीबी का शुरुआत में इलाज होने से मरीज जल्द हो जाता है स्वस्थ

-सरकारी अस्पतालों में जांच और इलाज की व्यवस्था बिल्कुल मुफ्त


बांका, 2 फरवरी -


 टीबी एक संक्रामक बीमारी है। इसके प्रति समाज के लोगों में भ्रांतियां भी हैं।  जिसे दूर करने की जरूरत है। घर, परिवार या फिर समाज में कोई टीबी के मरीज मिले तो उससे भेदभाव करने के बजाय उसे जांच और इलाज के लिए प्रेरित करें। टीबी मरीजों की उपेक्षा कतई नहीं करें। उससे अपनत्व की भावना रखते हुए टीबी की सही जांच और सही जगह पर इलाज कराने के लिए प्रेरित करें। शुरुआत में टीबी का इलाज होने पर वह जल्द स्वस्थ हो सकता है। इलाज में देरी होने पर खतरनाक भी हो सकता है। टीबी से पीड़ित व्यक्ति को तो परेशानी होगी ही, साथ ही उससे कई और लोगों में भी संक्रमण हो सकता है। प्रभारी जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. सोहेल अंजुम ने बताया कि श्वसन संबंधित संक्रामक बीमारियों में टीबी भी एक महत्वपूर्ण बीमारी है जो फेफड़ों को प्रभावित करता है। संक्रमित व्यक्ति के खांसने व बोलने से निकली बूंद में मौजूद टीबी बैक्टीरिया हवा के माध्यम से स्वस्थ व्यक्ति तक पहुंचती है। इसके बाद दूसरे लोग टीबी की चपेट में आते हैं।

टीबी को लेकर धारणाओं से बचें- डॉ. सोहेल अंजुम ने बताया कि टीबी संक्रमण को लेकर समाज में कुछ धारणाएं भी हैं। इन धारणाओं की वजह से लोग टीबी ग्रसित लोगों की उपेक्षा करने लगते हैं। टीबी ग्रसित लोगों के प्रति इस तरह की उपेक्षा  उसके इलाज में भी असुविधा ही पैदा करती है। आमलोगों को यह ध्यान रखना चाहिए कि वे टीबी संक्रमण होने के सही कारणों की जानकारी लें। सरकारी अस्पतालों में टीबी की जांच और इलाज की व्यवस्था बिल्कुल मुफ्त है। अगर कोई मरीज मिले तो उसे सरकारी अस्पताल इलाज  के लिए ले जाएं।

फेफड़ों व अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है टीबी : डॉ. अंजुम ने बताया कि जब एक व्यक्ति सांस लेता  तो बैक्टीरिया फेफड़ों में जाकर बैठ जाता  और वहीं बढ़ने लगता है। इस तरह से वो रक्त की मदद से शरीर के दूसरे अंगों यथा किडनी, स्पाइन व ब्रेन तक पहुंच जाता है। आमतौर पर ये टीबी फैलने वाले नहीं होते हैं। वहीं फेफड़ों व गले का टीबी संक्रामक होता  जो दूसरों को भी संक्रमित कर देता है।

कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वालों को संक्रमण का खतरा अधिक: डॉ. अंजुम कहते हैं कि टीबी दो प्रकार के होते हैं। इनमें एक लेंटेंट टीबी होता है, जिसमें टीबी के बैक्टीरिया शरीर में मौजूद होते हैं लेकिन उनमें लक्षण स्पष्ट रूप से नहीं दिखते। लेकिन रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर इसका असर उभर कर देखने को मिल सकता है। वहीं कुछ स्पष्ट दिखने वाले लक्षणों से टीबी रोगियों का पता चल पाता है।

ये लक्षण दिखें तो करायें टीबी जांच : 

दो सप्ताह या इससे अधिक समय से खांसी रहना, छाती में दर्द, कफ में खून आना। 

-कमजोरी व थका हुआ महसूस करना। 

-वजन का तेजी से कम होना।

-भूख नहीं लगना, ठंड लगना, बुखार का रहना।

-रात को पसीना आना इत्यादि।

रिपोर्टर

  • Dr. Rajesh Kumar
    Dr. Rajesh Kumar

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