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बिहार इंटर फेथ फोरम फॉर चिल्ड्रन (BIFC), सिस्टर्स ऑफ़ नोत्र डैम और यूनिसेफ द्वारा आयोजित किया गया वेबीनार
"सीजन ऑफ़ क्रिएशन इंटर फेथ वेबिनार" में क्लाइमेट चेंज पर धर्मगुरुओं व बच्चों ने की चर्चा
पटना, 24 सितंबर: विश्व वायुगुणवत्ता रिपोर्ट 2019 के मुताबिक भारत को सबसे अधिक प्रदूषित देश बताया गया है. संयुक्त राष्ट्र की जेनेरल असेंबली द्वारा इस सप्ताह पर्यावरण बदलाव पर इस चर्चा को शामिल किया जायेगा. प्रदूषण आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत हानिकारक है. इन मुद्दों को देखते हुए सिस्टर आॅफ नौट्रेडैम ने बिहार इंटरफेश फोरम फॉर चिल्ड्रेन के साथ मिलकर फेथ लीडर्स स्पीरिचुअल कनेक्ट फॉर सीजन आॅफ क्रिएशन, जुबली फॉर अर्थ वेबिनार का आयोजन किया गया. वेबिनार का उद्देश्य धर्मगुरुओं को धरती की देखभाल के लिए एकजुट करना और पृथ्वी व पर्यावरण पर लोगों को जागरूक करने के उपायों पर विचारों को साझा करना था. इस मौके पर धर्मगुरुओं ने बच्चों के साथ मिलकर पृथ्वी और पर्यावरण को बचाने के लिए पौधरोपण, प्लास्टिक का कम इस्तेमाल, और पृथ्वी को ईश्वरीय देन मानते हुए इसकी सुरक्षा के उपायों पर चर्चा की. प्रमुख वक्ताओं मेंसिस्टर ज्योतिषा कन्नमक्कल, मॉडरेटर और बीएफआईसी सदस्य, सिस्टर मैरी टेसी, अध्यक्ष, नोट्रे डेम, पटना की बहनें, सुश्री निखत सना, ईदारे शरिया, शामिल थी. वहीं श्री विजय कुमार जैन, दिगम्बर जैन मंदिर, श्री चन्द्र भूषण शर्मा गायत्री मंदिर प्रभाती, शेखपुरा, बी.के. काजल, राजयोग शिक्षक,, बी.के. संगीता, निदेशक, प्रजापिता ब्रह्मकुमारिज पटना और सुश्री निपुण गुप्ता, संचार विशेषज्ञ, यूनिसेफ तथा प्रतिभागियों में बिहार और भारत के बच्चे व युवा सहित रोम व इटली से सिस्टर्ज मौजूद रहीं. मैरी टैसी ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए बताया कि वैश्विक महामारी कोविड 19 ने विपदाओं पर व्यक्ति को जाति, पंथ, शक्ति, धन और प्रतिष्ठा से उपर उठना सिखा दिया है. उन्होंने का कि यह ईश्वर के निमंत्रण की तरह है हमें एक दूसरे का देखभाल करने के लिए एक परिवार की तरह एकजुट होने की जरूरत है. सभी धर्मों में शास्त्र का कहना है कि भगवान को सृष्टि की रचना के लिए धन्यवाद देना चाहिए और पृथ्वी की रक्षा करनी चाहिए. हमें इन महत्वपूर्ण समय में सकारत्मकता, सद्भाव और बंधुत्व फैलाने की आवश्यकता है. वेबिनार के दौरान उन्होंने पृथ्वी की रक्षा में सबके प्रयासों को बल मिलने की प्रार्थना भी की. वेबिनार के दौरान सिस्टर ज्योतिषा ने बताया दुनिया भर में ईसाई संप्रदाय सिंतबर से अक्टूबर तक सीजन आॅफ क्रिएशन महोत्सव के माध्यम से धरती की रक्षा के लिए प्रार्थना की जाती है. यूनिसेफ की संचार विशेषज्ञ सुश्री निपुण गुप्ता ने बीएफआइसी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि संगठन द्वारा पिछले तीन सालों से महिलाओं और बच्चों के अधिकारों के लिए काम किया जाता रहा है. अपने नेटवर्क, अनुयायियों और धार्मिक संस्थानों का उपायोग किया गया है. धर्मगुरू, वैज्ञानिक तथ्यों व धार्मिक शिक्षाओं के साथ लोगों को आज अच्छी जानकारी देकर प्रेरित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम हमारे लिए सामयिक है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी विश्व के राजनेता इस विषय परचर्चा करें और इस वर्ष बाल दिवस की थीम भी क्लाइमेट एक्शन रखा गया है. इदारा ए शरिया से सुश्री निखत सना ने कहा इस खूबसुरत धरती की हिफाज़त के लिए इस तरह से काम करना होगा कि हमारी आने वाली पीढ़ी भी इसे अपने समय में देख सके. पृथ्वी की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है. लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि हम यह काम शांतिपूर्ण तरीके से करें और प्रेम और जागरूकता फैला कर लोगों के दिलोदिमाग को बदले. उन्होंने वेबिनार में पृथ्वी और लोगों की रक्षा के लिए प्रार्थना किया. दिगंबर जैन मंदिर से विजय कुमार जैन ने कहा कि पारिस्थितिक संकट और मानवता पर इसके प्रभाव पर चर्चा की. विशेष रूप से बच्चों पर इसके असर पर बात करते हुए उन्होंने सभी से पर्यावरण संरक्षण और विकास पर सरकार की पहल का पालन का अनुरोध किया. उन्होंने विशेष रूप से प्लास्टिक के उपयोग को कम करने की अपील की. सभी प्रतिभागियों से कहा कि वे स्वयं को शिक्षित करने और प्रदूषण को कम करने का हरसंभव प्रयास करें. गायत्री मंदिर प्रभाती से प्रतिनिधि चंद्रभूषण शर्मा ने बच्चों को आध्यात्मिकता और नैतिक मूल्यों को सिखाने के महत्व पर चर्चा की और स्कूलों में बच्चों के लिए मानसिक शांति और विचार प्रबंधन प्रशिक्षण प्रदान करने के अपने संगठन के प्रयासों का वर्णन किया. इस मौके पर उन्होंने जीवन में आने वाली मुसीबतों का सामना करने और आंतरिक शांति का अनुभव करने के लिए ईश्वर से मदद की प्रार्थना की. प्रजापिता ब्रह्मकुमारी, पटना की निदेशिका ब्रह्मकुमारी बी.के. काजल और बी.के. संगीता ने धरती को बचाने के लिए पर्यावरण में सकारात्मक कंपन भेजने की शक्ति के बारे में बताया. उन्होंने कहा की हमें पर्यावरण में सकारात्मक कंपन भेजने और प्रकृति के साथ संतुलन बनाने का प्रयास करना चाहिए. बी.के. संगीता जी ने प्रतिभागियों के साथ एक ध्यान प्रार्थना की ताकि सभी उस समय के लिए पर्यावरण में सकारात्मक स्पंदन ला सकें और प्रकृति के साथ संतुलन बनाने का प्रयास कर सकें. अंत में बच्चों और युवा साथियों ने अपने बनाये हुए चित्रों को प्रदर्शन के साथ पर्यावरणीय परिस्थितियों पर अपने विचारों का व्यक्त कर निरूपण और विनाश, और अज्ञान से ज्ञान और शांति आदि का संदेश दिया. आने वाली पीढ़िया क्या देखना चाहती हैं, इसका उन्होंने चित्रों और कविताओं के माध्यम संदेश भी दिया और सरकार से पर्यावरण सुरक्षा की अपील की. वेबिनार के अंत में विकासार्थ ट्रस्ट से सुश्री संगीता सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन दिया.
रिपोर्टर
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Grihsangini (Admin)