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-जागरूकता कार्यक्रम का हो रहा है असर, लोग एक-दूसरे को दे रहे जानकारी
-टीबी के मुफ्त इलाज की जानकारी अखबारों में प्रकाशित होने का भी है असर
बांका-
कटोरिया प्रखंड के तिलैया गांव की रहने वाली सुगिया देवी करीब डेढ़ साल पहले टीबी की चपेट में आ गई थी। आर्थिक स्थिति कमजोर रहने के कारण उसे समझ नहीं आ रही थी कि क्या करें। घर की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं थी कि निजी अस्पताल में जाकर इलाज करा सके। लेकिन आसपास के लोगों ने उसे समझाया। बताया कि सरकारी अस्पतालों में टीबी का बिल्कुल ही मुफ्त में इलाज होता है, इसलिए घबराओ मत और जाकर जांच कराओ। जांच में उसके टीबी होने की पुष्टि हुई और फिर इलाज शुरू हुआ। छह महीने तक नियमित तौर पर दवा का सेवन करने के बाद वह ठीक हो गई। आज वह स्वस्थ जीवन जी रही है।
सुगिया देवी कहती है, हम गरीब लोग कहां से इलाज कर पाते। आर्थिक परेशानी होने के कारण निजी अस्पताल में इलाज कराने में समर्थ नहीं थी। एक दिन पड़ोस में बातचीत के दौरान पता चला सरकार की तरफ से टीबी का मुफ्त में इलाज होता है। पहले तो मुझे भरोसा नहीं था, लेकिन जब मुझे बताया गया कि अखबारों में इस बारे में लगातार खबरें प्रकाशित होती रहती हैं तो मुझे थोड़ा यकीन हुआ। इसके बाद इलाज कराने के लिए अस्पताल गई तो देखा कि वाकई में सभी कुछ सही है। जांच से लेकर इलाज तक में मेरा कोई पैसा नहीं लगा। साथ ही जबतक मेरा इलाज चला मुझे पांच सौ रुपये प्रतिमाह की राशि पौष्टिक आहार के लिए भी दी गई। इलाज के दौरान मेरी नियमित तौर से निगरानी होती रही। लोग लगातार फोन कर पूछते थे कि कैसी तबियत है। दवा नहीं छोड़ना है।
अखबारों में खबरों का हो रहा है असरः लैब टेक्नीशियन सुनील कुमार कहते हैं कि टीबी को खत्म करने के लिए जागरूकता अभियान लगातार चल ही रहा है, लेकिन अखबारों में खबरें प्रकाशित होने का भी असर पड़ रहा है। मैं तो जांच करता हूं। जांच के लिए जितने भी लोग आते हैं, उनमें से काफी सारे लोग बोलते हैं कि अखबारों में पढ़ा था कि सरकारी अस्पताल में टीबी का इलाज मुफ्त में होता है। साथ में निजी अस्पताल से बेहतर भी होता है। पिछले कुछ समय से टीबी की जांच कराने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है। इसमें जागरूकता कार्य़क्रम का असर तो है ही। साथ में अखबारों में लगातार खबरे प्रकाशित होने का भी योगदान है। कोई भी बात जब अखबार में छपती है तो लोगों तक बड़ी तेजी से फैलती है। यही टीबी के मामले में भी हुआ।
रिपोर्टर
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Dr. Rajesh Kumar