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• 162 टीबी मरीजों को उपचार मुहैय्या कराने में की मदद
• अब टीबी मुक्त वाहिनी से जुड़कर समुदाय में जगा रहीं जागरूकता की अलख
पटना-
“ अप्रैल 2021 में टीबी के लक्षण नजर आते ही मैंने फुलवारीशरीफ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अपनी जांच करायी जहाँ मुझे टीबी की पुष्टि हुई. विचलित होने के बजाय मैंने हिम्मत से काम लिया और चिकित्सकों द्वारा दी गयी दवाओं का नियमपूर्वक सेवन करना शुरू किया और अपने खान पान पर भी ध्यान दिया. पूरे छः महीने दवा सेवन के बाद मैंने दुबारा अपनी जांच करायी जहाँ मुझे स्वस्थ बताया गया और मैं टीबी को मात देकर अब पूरी तरह स्वस्थ हूँ”, उक्त बातें पटना के अनीसाबाद की निवासी आशा कुमारी ने बताई. आशा अब एक टीबी चैंपियन के रूप में टीबी मरीजों को समुचित उपचार कराने में मदद कर रही हैं और समुदाय में रोग के प्रति लोगों को जागरूक कर रहीं हैं.
घर में झेला कटाक्षों का दौर:
आशा ने बताया कि टीबी की पुष्टि होने के बाद जब घर में उन्होंने दवा सेवन शुरू किया और अपने दैनिक कार्यों में कटौती की तो उनके ससुराल पक्ष से उन्हें कटाक्षों का सामना करना पड़ा. उन्हें घर में सुनाया गया कि घर की बहु होकर सिर्फ दवा खाना और आराम करना उसे शोभा नहीं देता. उसे घर के उपवास एवं पूजा पाठ में ध्यान देना चाहिए और पूजा से कोई भी रोग ठीक हो जायेगा. आशा ने बताया कि उन्होंने इन बातों को अनसुना किया और नियमित दवा का सेवन किया. मानसिक रूप से परेशान आशा ने दो महीनो के बाद अपने मायके का रुख किया और वहीँ रहकर स्वास्थ्य लाभ किया. टीबी को मात देकर और पूरी तरह स्वस्थ होकर आशा वापस अपने ससुराल आ गयी और अपनी जिंदगी पुराने तरीके से दुबारा शुरू की.
दादाजी ने बढ़ाया मनोबल:
आशा बताती हैं कि “मायके में मेरे दादाजी ने मेरा मनोबल बढ़ाया. वह पेशे से चिकित्सक हैं और उन्होंने मुझे बताया कि टीबी से घबराने की जरुरत नहीं है. दवा के नियमानुसार सेवन करना और पौष्टिक आहार के सेवन रोग को मात देने का मूलमंत्र है. उनके बातों से मेरी हिम्मत और बढ़ी और नियमित दवा सेवन के साथ मैंने ज्यादा से ज्यादा पौष्टिक तत्वों को अपने दैनिक आहार में शामिल किया. चिकित्सकों ने मुझे टीबी की दवा के अलावा विटामिन की गोलियां भी खाने को दी थी और इनका भी मैंने नियमपूर्वक सेवन किया.
162 टीबी मरीजों को उपचार मुहैय्या कराने में की मदद:
आशा सितंबर 2022 से टीबी मुक्त वाहिनी की सदस्य हैं और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, पटना में वह टीबी मरीजों को ससमय चिकित्सीय सुविधा पहुंचाने में मदद करती हैं. मरीजों से विनम्रतापूर्वक बात करना, उन्हें चिकित्सीय सलाह एवं दवाएं ससमय उपलब्ध करवाना तथा उनका फॉलोअप करना उनके दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है. टीबी चैंपियन के रूप में कार्य करते हुए आशा ने अभी तक 162 टीबी मरीजों की मदद की है. आशा मानती हैं कि जागरूकता से ही टीबी उन्मूलन का सपना साकार किया जा सकता है. मैंने महसूस किया है कि जितने भी टीबी मरीज से मैं मिलती हूँ वह सभी कमजोर प्रतिरोधक क्षमता से ग्रसित होते हैं. एक टीबी चैंपियन एवं सरवाईवर होने के कारण मैंने यह जाना है कि एक स्वस्थ शरीर किसी भी रोग को मात देने में सबसे अहम् भूमिका निभाता है.
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar