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जांच में टीबी की पुष्टि हुई तो बिना देरी किए शुरू कर दिया इलाज
छह महीने तक नियमित तौर पर दवा का सेवन करने पर हुआ स्वस्थ
बांका, 28 दिसंबर
मैं जब टीबी की चपेट में आया था तो काफी परेशान हो गया था। युवावस्था में इस तरह की बीमारी से पीड़ित होने पर कई तरह की चुनौतियां सामने खड़ी हो जाती हैं। इस उम्र में घर की भी कई तरह की जिम्मेदारी होती है, जिसका निर्वहन करने के लिए समाज के लोगों के साथ उठना-बैठना होता है। ऐसे में टीबी की चपेट में आ जाने से मैं चिंतित रहने लगा था। मन में ये डर था कि दोस्तों के बीच मुझे वो पुराना सम्मान मिलेगा या नहीं। क्या मेरा बहिष्कार कर दिया जाएगा। शुक्र है कि मैंने सरकारी अस्पताल में इलाज करवाया और नियमित तौर पर दवा का सेवन करने के बाद छह महीने में ही ठीक हो गया।
ये कहना है रजौन प्रखंड के अम्हारा गांव के रहने वाले राहुल कुमार का। राहुल नौ महीने पहले टीबी की चपेट में आ गया था। पिता किसान हैं। राहुल पिता के काम में भी हाथ बंटाता है। इसलिए घर से बार-बार आना-जाना होता है। ऐसे में राहुल के मन में ये डर था कि जब लोगों को पता चलेगा कि मुझे टीबी हो गया है तो वे मुझसे दूरी बना लेंगे। दूसरी ओर उसे यह भी चिंता थी कि पिता किसान हैं। खेती कर किसी तरह घर का गुजारा चलाते हैं। ऐसे में निजी अस्पताल में कहां से इलाज करा सकेंगे। राहुल कहते हैं कि मैं अखबार पढ़ता हूं। अखबार में टीबी को लेकर लगातार खबरें छपती रहती हैं। अखबार पढ़ने के कारण मैं यह जानता था कि टीबी के लक्षण क्या होते हैं और सरकारी अस्पताल में इसका बेहतर इलाज होता है। सरकार की तरफ से टीबी मरीजों को सहायता भी मिलती है। इसलिए जैसे ही मुझे टीबी के लक्षण का अहसास हुआ, मैं इलाज के लिए सरकारी अस्पताल चला गया। वहां पर जांच में टीबी की पुष्टि हुई। इसके बाद मेरा इलाज शुरू हुआ। लगातार छह महीने तक मैंने दवा का सेवन किया तो अब मैं ठीक हूं। मुझे किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है। अब मैं अपने दोस्तों के साथ भी सिर उठाकर रहता हूं। मैं लोगों से यही अपील करना चाहूंगा कि अगर टीबी के लक्षण दिखाई दे तो सरकारी अस्पताल ही जाएं। वहां पर बेहतर इलाज होता है। साथ में पैसा भी नहीं लगता है।
सरकारी अस्पताल में बेहतर और मुफ्त होता है इलाजः जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. उमेश नंदन प्रसाद सिन्हा कहते हैं कि यह तो अच्छी बात है कि राहुल को इस बात की जानकारी थी कि सरकारी अस्पताल में टीबी का बेहतर और मुफ्त में इलाज होता है। इसका उसे फायदा भी मिला और वह जल्द स्वस्थ हो गया। मैं अन्य लोगों से भी यही अपील करना चाहता हूं कि अगर उन्हें टीबी के लक्षण दिखाई दे तो तत्काल सरकारी अस्पताल का रुख करें। लगातार दो हफ्ते तक खांसी होना, बलगम के साथ खून आना, लगातार बुखार रहना या फिर शाम के वक्त पसीना आना, ये टीबी के लक्षण हैं। अगर ऐसा महसूस हो तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाएं। वहां पर आपका बेहतर इलाज होगा।
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Dr. Rajesh Kumar